अमेरिकी रक्षा कंपनियों की शर्तों से मुश्किल में मेक इन इंडिया, टेक्नोलॉजी पर चाहती हैं नियंत्रण
अमेरिकी रक्षा कंपनियों ने भारत में उत्पादन शुरू करने के लिए नई शर्तें थोपकर केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया योजना को मुश्किल में डाल दिया है। अरबों डॉलर का करार पाने की इच्छुक ये कंपनियां सरकार से ठोस आश्वासन पाना चाहती हैं कि उनकी तकनीकों पर उनका नियंत्रण बना रहे। यह जानकारी एक अमेरिकी बिजनेस लॉबी द्वारा रक्षा मंत्री को भेजे गए पत्र से मिली है।
पत्र के जरिये इन कंपनियों ने यह भी कहा है कि मेक इन इंडिया के तहत स्थानीय कंपनियों के साथ स्थापित सैन्य औद्योगिक संयंत्रों के उत्पादन में यदि किसी तरह की खामी निकलती है तो वे इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगी। लॉकहीड मार्टिन और बोइंग भारतीय सेना को लड़ाकू जेट विमानों की सप्लाई के लिए बोली लगा रही हैं। सोवियत युग के मिग विमान हटाए जाने के बाद सेना में सैकड़ों विमानों की कमी हो गई है और तीन दशकों से घरेलू विमान बनाने की योजना अधर में लटकी हुई है।
लॉकहीड ने अपने टेक्सास स्थित फोर्ट वर्थ से एफ-16 का उत्पादन संयंत्र भारत में स्थानांतरित करने की पेशकश की है लेकिन उसकी शर्त है कि भारत यदि कम से कम 100 सिंगल-इंजन फाइटर विमानों का ऑर्डर करता है तभी वह यहां दुनिया की एकमात्र फैक्टरी स्थापित करेगी। इस अमेरिकी कंपनी ने रक्षा मंत्रालय के नए सामरिक भागीदारी मॉडल के तहत अपने स्थानीय पार्टनर के तौर पर टाटा एडवांस्ड सिस्टम को चुना है।
इस मॉडल के तहत प्रावधान है कि विदेशी मूल उपकरण विनिर्माता कंपनी (ओईएम) संयुक्त उपक्रम में 49 फीसदी की हिस्सेदारी ही रख सकती है जबकि भारतीय निजी कंपनी की हिस्सेदारी उससे अधिक 51 फीसदी रहेगी।
पढ़ें- भारत के साथ मिग-29K बनाना चाहता है रूस, टेक्नोलॉजी शेयर करने को भी तैयार
अमेरिकी-भारतीय बिजनेस परिषद (यूएसआईबीसी) ने पिछले महीने ही भारतीय रक्षा मंत्री को लिखकर इस बात की गारंटी मांगी थी कि संयुक्त उपक्रम में छोटी भागीदार कंपनियां होने के बावजूद अमेरिकी कंपनियों का संवेदनशील तकनीकी पर नियंत्रण बना रहेगा।
तकरीबन 400 कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली इस लॉबी ने तीन अगस्त को भेजे इस पत्र में कहा है कि सार्वजनिक और निजी रक्षा भागीदारी करने वाली सभी कंपनियों के लिए स्वामित्व प्रौद्योगिकियों पर नियंत्रण एक महत्वपूर्ण मसला है। पत्र के मुताबिक, नीतिगत दस्तावेज में इसका जिक्र नहीं होने के कारण ये कंपनियां भारत से इसकी गारंटी मांग रही हैं।
लॉकहीड ने अपने टेक्सास स्थित फोर्ट वर्थ से एफ-16 का उत्पादन संयंत्र भारत में स्थानांतरित करने की पेशकश की है लेकिन उसकी शर्त है कि भारत यदि कम से कम 100 सिंगल-इंजन फाइटर विमानों का ऑर्डर करता है तभी वह यहां दुनिया की एकमात्र फैक्टरी स्थापित करेगी। इस अमेरिकी कंपनी ने रक्षा मंत्रालय के नए सामरिक भागीदारी मॉडल के तहत अपने स्थानीय पार्टनर के तौर पर टाटा एडवांस्ड सिस्टम को चुना है।
इस मॉडल के तहत प्रावधान है कि विदेशी मूल उपकरण विनिर्माता कंपनी (ओईएम) संयुक्त उपक्रम में 49 फीसदी की हिस्सेदारी ही रख सकती है जबकि भारतीय निजी कंपनी की हिस्सेदारी उससे अधिक 51 फीसदी रहेगी।
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अमेरिकी-भारतीय बिजनेस परिषद (यूएसआईबीसी) ने पिछले महीने ही भारतीय रक्षा मंत्री को लिखकर इस बात की गारंटी मांगी थी कि संयुक्त उपक्रम में छोटी भागीदार कंपनियां होने के बावजूद अमेरिकी कंपनियों का संवेदनशील तकनीकी पर नियंत्रण बना रहेगा।
तकरीबन 400 कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली इस लॉबी ने तीन अगस्त को भेजे इस पत्र में कहा है कि सार्वजनिक और निजी रक्षा भागीदारी करने वाली सभी कंपनियों के लिए स्वामित्व प्रौद्योगिकियों पर नियंत्रण एक महत्वपूर्ण मसला है। पत्र के मुताबिक, नीतिगत दस्तावेज में इसका जिक्र नहीं होने के कारण ये कंपनियां भारत से इसकी गारंटी मांग रही हैं।
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